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कर्बला

खुश हूँगा मैं, आगे जो अलम लेके बढ़ोगे।
क्या भाई के पीछे न नमाज़ आज पढ़ोगे?

लड़ते-लड़ते शाम हो गयी, हाथ नहीं उठते। आखिरी नमाज़ पढ़ लूँ। काश नमाज़ पढ़ते हुए सिर कट जाता, तो कितना अच्छा होता!

[ हुसैन नमाज़ में झुक जाते हैं, असअस पीछे से आकर उनके कंधे पर तलवार मारता है। क़ीस दूसरे कंधे पर तलवार चलाता है। हुसैन उठते हैं, फिर गिर पड़ते हैं, फ़ौज़ में सन्नाटा छा जाता है। सब-के-सब अाकर उन्हें घेर लेते हैं। ]

शिमर---ख़लीफ़ा यज़ीद ने हुसैन का सिर माँगा था, कौन यह फ़ख़ हासिल करना चाहता है।

[ एक सिपाही आगे बढ़कर तलवार चलाता है। मुस्लिम को छोटी लड़की दौड़ी हुई ख़ेमे से आती है; और हुसैन की पीठ पर हाथ रख देती है। ]

नसीमा---ओ ख़बीस, क्या तू मेरे चाचा को कत्ल करेगा?

[ तलवार नसीमा के दोनों हाथों पर पड़ती है, और हाथ कट जाते हैं। शीस तलवार लेकर आगे बढ़ता है, हुसैन का मुँह देखते ही तलवार उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ती है। ]

शिमर---क्यों, तलवार क्यों डाल दी?

शीस---उन्होंने जब आँखें खोल कर मुझे देखा, तो मालूम हुआ कि रसूल की आँखें है। मेरे होश उड़ गये।

क़ीस---मैं जाता हूँ।

[ तलवार लेकर जाता है, तलवार हाथ से गिर पड़ती है, और उल्टे कदम काँपता हुआ लौट आता है। ]

शिमर---क्यों, तुम्हें क्या हो गया?

क़ीस---यह हुसैन नहीं, खुद रसूल पाक हैं। रोब से मेरे होश ग़ायब हो गये। या ख़ुदा, जहन्नुम की अाग में न डालियो।