देनेवाले, ज़िन्दगी को इस तरह नाचीज़ समझनेवाले, मजलूमों की हिमायत में सिर कटानेवाले हों, वह सच्चा और मिनजानिब खुदा है। वह मजहब दुनिया में हमेशा क़ायम रहे, और नूरे-इस्लाम के साथ उसकी रोशनी भी चारो तरफ़ फैले।
साहसराय---भगवन्, अापने हमारे प्रति जो शुभेच्छाएँ प्रकट की हैं, उनके लिए हम अापके कृतज्ञ हैं। मेरी भी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जब कभी इस्लाम को हमारे रक्त की आवश्यकता हो, तो हमारी जाति में अपना वक्ष खोल देनेवालों की कमी न रहे। अब मुझे आज्ञा हो कि चलकर अपने प्रायश्चित की क्रिया पूरी करूँ।
हुसैन---नहीं, मेरे दोस्तो, जब तक हम बाक़ी हैं, अपने मेहमानों को मैदान में न जाने देंगे।
साहस---हज़रत, हम आपके मेहमान नहीं, सेवक हैं। सत्य और न्याय पर मरना ही हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य है। यह हमारा कर्तव्य-मात्र है, किसी पर एहसान नहीं।
हुसैन---आह! किस मुँह से कहूँ कि जाइए। ख़ुदा करे, इस मैदान में हमारे और आपpoem>न से जिस इमारत की बुनियाद पड़ी है, वह जमाने की नज़र से हमेशा महफूज़ रहे, वह कभी वीरान न हो, उसमें से हमेशा नग़मे की सदाएँ बुलन्द हों, और आफ़ताब की किरणें हमेशा उस पर चमकती रहें।
[ सातों भाई गाते हुए मैदान में जाते हैं। ]
जय भारत, जय भारत, जय मम प्राणपते!
भाल विशाल चमत्कृत सित हिमगिरि राजै,
परसत बाल प्रभाकर हेम प्रभा ब्राजै। जय भारत....
ऋषि-मुनि पुण्य तपोनिधि तेज-पुंजधारी,
सब विधि अधम अविद्या भव-मय-तमहारी। जय भारत....
जय जय वेद चतुर्मुख अखिल भेद-ज्ञाता ,
सुविमल शांति सुधा-निधि मुद-मंगलदाता। जय भारत....