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कर्बला

पहुँचा, और मुझे यज़ीदवालों की सफ़ में बैठे देखकर मुझसे बदजबानी करने लगा। मुझे दगाबाज़, ज़मानासाज़ बेशर्म, खुदा जाने, क्या-क्या कहा, और उसी जोश में यज़ीद और ज़ियाद, दोनो ही की शान में बेअदबी की। मुझे ताना देता हुआ बोला, मैं आज तुम्हारे नमक की क़ैद से आजाद हो गया। मुझे कल होना मंजूर है, मगर ऐसे आदमी की गुलामी मंजूर नहीं, जो ख़ुद दूसरों का गुलाम है। ज़ियाद ने हुक्म दिया---इस बदमाश की गर्दन मार दो। और जल्लादों ने वहीं सहन में उसको क़त्ल कर डाला। हाय! मेरी आँखों के सामने उसकी जान ली गयी, और मैं उसके हक़ में ज़बान तक न खोल सका, उसकी तड़पती हुई लाश मेरी आँखों के सामने घसीटकर कुत्तों के आगे डाल दी गयी, और मेरे खून में जोश न आया। अाफ़ियत बड़े महँगे दामों मिलती है।

नसीमा---बेशक, महँगे दाम हैं। तुमने अभी बैयत तो नहीं ली?

वहब---अभी नहीं, बहुत देर हो गयी, लोगों की तादाद बढ़ती जाती थी। आखिर अाज हलफ़ लेना मुल्तवी किया गया। कल फिर सबकी तलबी है।

नसीमा---तुम इन जालिमों की बैयत हर्गिज न लेना।

वहब---नहीं नसीमा, अब उसका मौक़ा निकल गया।

नसीमा---मैं तुमसे मिन्नत करती हूँ, हर्गिज न लेना।

वहब---तुम मेरी दिलजोई के लिए अपने ऊपर जब्र कर रही हो।

नसीमा---नहीं वहब, अगर तुम दिल से भी बैयत क़बूल करनी चाहो, तो मैं खुश न हूँगी। मैं भी इन्सान हूँ वहब, निरी भेड़ नहीं हूँ। मेरे दिल के जजबात मुर्दा नहीं हुए हैं। मैं तुम्हे इन जालिमों के सामने सिर न झुकाने दूँगी।

वहब---जानती हो, नतीजा क्या होगा?

नसीमा---जानती हूँ। जागीर जब्त हो जायगी, वजीफ़ा बंद हो जायगा, जलावतन कर दिये जायँगे। मैं तुम्हारे साथ ये सारी अाफ़तें झेल लूँगी।

वहब---और अगर जालिमों ने इतने ही पर बस न की?

नसीमा---अाह वहब, अगर यह होना है, तो खुदा के लिए इसी वक्त