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कर्बला

ज़ियाद---खुदा किसी ग़रीब को बेवतनी में मरीज़ न बनाये। हानी, मैंने सुना है, मुस्लिम मक्के से यहाँ आये हैं। ख़लीफ़ा ने मुझे सख़्त ताक़ीद की है कि उन्हें गिरफ़्तार कर लूँ। आप शहर के रईस हैं, उनका कुछ सुराग़ मिले, तो मुझे इत्तिला दीजिएगा। मुझे आपके ऊपर पूरा भरोसा है। आप समझ सकते हैं कि उनके आने से मुल्क मे कितना शोर-शर पैदा होगा। क़सम है कलाम पाक की, इस वक़्त जो उनका सुराग़ लगा दे, उसका दामन जवाहरात से भर दूँ। मैं इसी फिक्र में जाता हूँ। आप भी तलाश में रहिए।

[ चला जाता है। ]

शरीक---हज़रत मुस्लिम, आपसे आज जो ग़लती हुई है, उस पर आप मरते दम तक पछतायेंगे, और आपके बाद मुसलमान क़ौम इसका ख़मियाज़ा उठायेगी। तुम क़यास नहीं कर सकते कि तुमने इस्लाम को आज कितना बड़ा नुकसान पहुँचाया है। शायद खुदा को यही मंजूर है कि रसूल का लगाया हुअा बाग़ यज़ीद के हाथों बरबाद हो जाय।

मुस०---शरीक, मैंने कभी दग़ा नहीं की, और मुझे यक़ीन है कि हजरत हुसैन मेरी इस हरकत को कभी पसन्द न करते। इस्लाम का दरख़्त हक़ के बीज से उगा है। दग़ा से उसकी आबपाशी करने मे अन्देशा है कि कहीं दरख़्त सूख न जाय। हक़ पर कायम रहते हुए अगर इस्लाम का नामो-निशान दुनिया से मिट जाय, तो भी इससे कहीं बेहतर है कि उसे ज़िन्दा रहने के लिए दग़ा का सहारा लेना पड़े। (हानी से ) भाई साहब को इत्तिला दे दूँ कि यहाँ १८ हज़ार आदमियों ने आपकी बैयत कबूल कर ली है!

हानी---ज़रूर। मेरा गुलाम इस ख़िदमत के लिए हाज़िर है।

मु०---( दिल में ) यह ग़ैरमुमकिन है कि इतने आदमी बैयत लेकर फिर उसे तोड़ दें। कल मुझे चारो तरफ़ अँधेरा-ही-अँधेरा नज़र आता था। आज चारो तरफ़ रोशनी नज़र आती है। मेरी ही तहरीक पर हुसैन यहाँ आने के लिए राजी हुए। खुदा का हज़ार शुक्र है कि मेरा दावा सही निकला और मेरी उम्मीद पूरी हुई।