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की सेवा-सहायता न चाहेगे । तब यदि उन्हें ज्वर आ गया हो— रा जंगन के एकान्त में पड़े राख्ने होंगे ?

  सहसा जैसे गाला के हृदय की गति रुकने लगी । इसने कान में यदन के करहाने का स्वर सुनाई  पडा, जैसे पानी के  लिए खाट के नीचे हाथ बढ़ाकर वह टटोल रहा हो । गाला से न रहा गया, बह उठ खड़ी हुई । फिर निस्तब्ध आकाश की नीलिमा में वह बन्दी बना दी गई। उसकी इच्छा हुई कि चिल्लाकर रो उठे। परन्तु निरुपाय थी । उसके अपने होने का मार्ग भी बन्द कर दिया था | यही बेचैनी थीं । वह तारो को गिन रही थी, पवन की लहरों को पकड़ रही थी।

सचमुच गाला आज अपने विद्रोही हृदय पर खीज उठी। वह अभाह हारकर के समुद्र में उभर्नुम हो रहीं थी---नाक में , आंख में ,हृदय में जैसे अन्धकार 'भरा जा रहा था । अब उसे निश्चम हो गया कि यह डूब गई ! वास्तव में वह विचारों से थककर सो गईं। अभी पूर्व में प्रकाश नहीं फैला था । गाला की नीद उचट गई । उसने देखा, कोई बड़ी दाढ़ी और मूछों वाला लम्बा-चौड़ा मनुष्य खड़ा है । चिन्तित रहने से । गाला का मन दुर्वल हो ही रहा था, उस आकृत को देख कर सहम गई। वह चिल्लाना ही चाहती थी कि उस व्यक्ति ने कहा—गाला में हैं नये ! तुम' हो ! मैं तो चौंक उठी थी, भला तुम इस समय क्यों आये ! तुम्हारे पिता कुछ घंटों के लिए संसार में जीवित है, यदि चाहो तो देख सकती हो । क्या सच ! तो मैं चलती हूं-कहकर गाला में भलाई जलाकर आलोक किया । यह एक चिट' पर कुछ लिखकर पिंडीराजी के कम्बल के पास गई। वे अभी सो रहे थे; गाला चिट उनके सिरहाने रखकर नये के पास गई, दोनो हेकरी से उतर सड़क पर चलने लगे । | ये कहने लगा यदन के घुटने में होली लगी थी। रात में पुलिस ने डाको के माल़ के संबंध में उस जंगल को तलासी ली; पर कोई वस्तु वहाँ न मिली। हाँ आकेले यदन नै तोरता रो पुलिस-दल का विरोध किया, तब उस पर गोली चलाई गई । वह गिर पड़ा । बुद्ध वदन में इसको अपना कर्तव्य पालन समझा । पुलिस ने फिर कुछ न पाकर घायल बदन को उसके भाग्य पर छोड़ दिया। यह निश्चय था कि वह मर जायगा, तय से ले जाना वया करती ! सम्झामतः पुलिस ने रिपोर्ट दी—ाई अप्रिवः सम्या में ६ । दोनों ओर से ग्यूच गोलियाँ पली; गर गई मरा नहीं । माघ बन लोगों के पास न था। पुलिस १६ : प्रसाद यादृमय