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नये में पूरक बन्द करते हुए एक दीर्घ नि:श्वास लिया । उस सचित ने राशि में जैसे रशित ए की जगनी लड़की के लिए हलनन मर गई । विरस जीवन में एक मबीन स्फूति हुई । वह हैराचे झुए गालो के पास पहुँचा । गाला इस समर्म अपने नमें बुलबुत न चारा दे रही थी। पुढू नुः ! कहानी अच्छी है न ? :--गाना ने पूछा ।। | नही कषण और दुर्दम में दीप्त उत्पन्न करनेवाली कहानी है ।गा ! हुम्हारी म्विन्ध दिल्ली के राज-सिंहासन से है:--अरिचयं ।। | शाश्चर्य पिर नाति मा गये ? क्या तुम समझते हो कि महू गोई बडो भारों पटना है। किसमें जिक्तपूर्ण शरीर, परिश्रम घेरते-करते र-च गये--उस अनन्त अनगि में-जह चरम शीतलता है, परम चिथाम है, यह किसी तरह पहुँच जाना हीं तो इस जीवन का नाम है । | नये अवाक् होकर उसने मुँह देवने नगा । गाला मरल जीवन की जैसे प्राममा प्रतिमा की । नगे ने साहस कर मुझ–फिर गली, जीवन के प्रकारों में तुम्हारे लिए चुनाव की कोई विषय नहीं, उसे बिताने के लिए भोई निश्चित कार्यक्रम नहीं । है तो नपे ! म १ः प्राणिया में गेया-भाय, सदसे स्नेह-सम्बन्ध रखना, अङ्ग गया मनुष्य के लिए गर्मी कर्तव्य नही ।। तुम अनाया है। इस जगल में पाङाला स्रोतकर यहां के हुन् प्राणियों के मन में यॉपले मानव-भाव भर सकती हो । | ऑ। । तुमने गुना नही, सौपारी में एक साधु आया है, हिन्दू-धर्म का तत्त्व समझाने नैः लिए । जंगल वालो को एक पार्कमाला उसने गोल दी है। वह कभी-कभी ग्रङ्ग शें आता है, मुझसे भी होश से जाता है; पर मैं देखती हैं कि मनुष्य वडा होंगी जीव है--धह इसरो जो वहीं सिखाने का उद्योग करता है, जिरी स्वर्ग कभी भी नहीं समझा। मुझे यह नहीं चला । मैरे पुरखे तो बहुत पढ़े-लिने और समझदार थे, उनके मन की अदाला कभी शान्त हुई ? यह एक विचट प्रश्न है गाहा ! जाता हैं, अमी मुवै घास करना है। यह बात तों में रे-धीरे समझने का है कि शिवितो लौर अशिक्षित वैः कम में अंतर नहीं है। जो कुछ भेद हैं वह जैन काम घर के अंग का हैं। नो तुमने अभी अपनी कथा मुझें नई सुनाई। किसी अवसर पर मुझेगा---बहता हुआ नम चला गया । गाला नृपधाप अस्त होते हुए दिनकर को देख रहीं म । वदन दूर से टट्दत हुअ आ रहा पा । आज इतका मुंह गदा की अति प्रसन्न न था । गाला फाप्त : १५५