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सेवन ने भी गर्व से कहा-तुमको मालूम नही, सरकार भीतर लेटे है। घबराकर सारंगीमाले ने पुश-कौन सरकार ? शाहजादे गिरजा जमात । यही, इसी टट्टी में हैं, आप कम होने पर बाहर निकलेंगे। भाग मुल गमे भय्या । मैं पुपचाप बैठता हैं—वहार दाडीयाला चिंना परिरकृत की हुई भूमि पर बैठकर आँखे मटकार शबनम को संकेत करने लगा। यनम अपने एक ही वस्त्र को और भी भलिन होने से बचाना चाऋती थी, इराकी में स्वच्छ पान और भाड़ घोश रही थी। उसके बाप में अभी का तोही हुआ कमलगट्टा । सब ऑग्में बनाकर य उसे चंब होना चाहती थी। सहा टट्टर युना । । मिरजा ने कहा-सोमदेव । | मेवी दौडा, सोमदेज उठ खड़ा झुअर । मिरगा ने अचि से पूछा- मौन wोग हैं ? जैसे बिलबुल अनजान । सारंगीवाला इश् खड़ा हुआ था । उसने कई अदाब बनाकर और सोमदेय को कुE बौने वा अवसर न देते हुए कहा—अरकार ! जाचक हैं, बड़े भाग से दर्शन हुए। मिरज़ा मने इतने में नन्तम न हुआ । उन्होने मुह बन्द किये, फिर सिर हिताकर कुछ और जानने की इन अमट यो । सोमदेव ने दरबारी दंग से डाँटफर कहा-तुम कौन हो जी, ता-याफ क्यों नहीं खाने ? मैं ही है। और, यह कौन है ? मेरो नो प्रावनम् । शबनम मा ? शयनम औम को कहा हैं पतिजी ।—मुस्कराते हुए मि ने कहा और एक बार शवनम मी जोर भली-भांति देषा 1 तेजवी श्रीगान फी आबों से मिलते है, दरिद्र शबनम की अधेि पन्नीने-पसीने हो गई। मिरज में देखा उन आणसी नीची धा में सचमुच ओत्त को बँदै छ गई थी। अल्ल, तुम लग गया करते हो ?-गिरजा पूछा। यही गाती है, इ मे इम दोनों का पापी पेट चता है। मिरज्ञा की इच्छा गाना सुनने को न यी; परन्तु पबनम अब तक कुछ यांनी केप्ति : १४५