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भीगती हुई सोंगडी की और लौटे। उनके चले जाने के बाद बुदों की आड़ से बड़ा बदन गुजर भी निकला और उनके पीछे-पीछे चला ।। प्रभात चमकने लगा घा 1 जंगली पक्षियों वैः कजनाद से कान-प्रदेश गुंज-- ति वा । गाता चारे-पानी के प्रबन्ध में झगी यौ। बदन नै नये को बुलाया। वह आकर सामने खड़ा हो गया। बदन ने उससे बैठने के लिए कहा । उसके बैठ बाने पर गुडर कहने लगा जब तुम भूख से ज्यानुल, थके हुए, भयभीत, सड़क से हटकर पैट के नीनै पड़े हुए थे अचैत थे, उस समय कितने तुम्हारी रक्षा की थी ? आपने ! -नये ने कहा। तुम जानते हो कि हम लोग इकू हैं, हम लोगो को माया-पता नहीं ! परन्तु हमारी निर्दयता भी वापना निर्दिष्ट गध रखती है, वह है केवल धन लेने के लिए । भेद यह हैं जि धन लेने का दूसरा उपाय हुम लोग काम में नही होते, दूसरे उपायों को हम लोग अधम समझचे हैं-धोखा देना, चोरी करना, मिजातेपात फरना, मह संत जो तुम्हारे नगरों के राग मनुष्य की जीमिका वैः सुगम उपाय है, हम जोग धनचे घृणा करते हैं। और भी, तुम वृन्दावन वाले खून के एक भागे हुए अग्रामी हो-हो न ? हकर बदन सीधी दृष्टि से नये को देखने लगा। वह सिर नीचा किये ज्ञा रहा । बदन फिर कहने लगा---तो तुम झिना चाहते हो। अच्छा सुनो, हुम लोग जिसे अपनी शरण में ले लेते हैं, उससे विश्वासघात नहीं करते। आज तुमसे एक बारा साफ कह देना चाहता है। देखो, गाला सीधी लड़की है, संचार के रियोत वह नहीं जानती, तपापि पदि वह निसर्ग-नियम से किसी बुर फो प्यार करने गगे, तो इसमें नाश्च नहीं । संभव है, वह मनुष्य तुम्ही हो जानो, लिए तुम्हें शत परशा है कि चाबधान ! उसे घोषा न देना । हाँ, यदि तुम कभी प्रमाणित कर सौगै मि तुम उसके योग्य हो, तो फिर देखा जायगा ! रामझा । बेदन चला गया। इसकी प्रौढ कर्का वाणी, नये के कानों में पच-गम्भीर स्थर से गुंजने लगा। वह बैं; गया और अपने जीवन का हिसाव लगाने सगा । कटुव लिन तन नहु बैठा रहा । तय गाजा ने उससे कहा- पुम्हारी रोटी पड़ी रहेगी, क्या ब्राय नही ? | नये ने महा—मैं तुम्हारी मात्रा को नौवनं पड़ना नाता है। तुमने मुझे दिखाने के लिए फहा था न ! ओहो, तो तुम स्ठना भी जानते हो । अल्ट्रा सा तो, माने जाडो, मैं तुम्हें 1३० : प्रशद वाट्टमय