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जाने लगा। बंशी के दिलन्धित मधुर स्वर से सोई हुई ननलशी गौ जगाने लगा। यह अपने स्तर में आप ही मस्त हो रहा था । उगी रामद गरला न जाने कैसे उसके समीप जाकर खड़ी हो गई 1 नये ने बंची गर्जना बन्द कर दिया। वह भयभीत होकर देखने लगा। गाना ने थाहा---तुम जानते हो कि यह कौन आन है ? जगा है, मुझसे मुल हुई। नही, यह ब्रज की नीमा के भीतर है। यहां चांदनी रात ग बम बनाने गे गोपियों की भरमाएँ, मचल उठगी है। तुम कौन हों गाता ।। मैं नहीं जानता, गर गरे मन में भी देर पहुँचती है। तब मैं न जाऊंगा। नही नये ! तुम धनाओं, वहीं मृन्दर बजती थी । हो, बाबा फाचित अध करे। | अच्छा, तुम रात । यो हो निकलवर घूमती हो । दम पर हार वाया न क्रोध करेगे । | हम लोग अगनी है। अकेल तो मैं कभी-भी आठ-आठ दस-दस दिन इमा जगल में रहती हैं। | अच्छा, तुम्ह गोपियों को बात गैंग माजूम हुई ? क्या तुम लोग हिन्ध्र हो ? इन गूजरो से रहो तुम्हारो भार भिन्न है । | आप रो देखते हुई गला ? महा.-३यो, इगमै भी हुमा गन्द।। गरी माँ मुगल होने पर भी कृष्ण से अधिक प्रेग गरती थी । अहा ये 1 | बिगी दिन उसकी जीवनी गुनाऊँगी । वह गाना ! तद तुम मुगलानी माँ से उत्पन्न हुई हो । क्रोध में देखती हुई गाला ने कहा - गुम नहीं कहते कि हुग मोग गनुष्य हैं। | जिस सहृदयता से नुमने मेरो विपत्ति ; संथा की है, गाना ! उनै देसात तो मैं पहूँगा कि तुम दैत्र-बालिका हो !.- नये का हृदय महानुभूति की स्मृति में मर छा या । नहीं-नहीं, गै सुमो अपनी 5) को निग्नी हुई जयिनी इन दो देंगे और तर तुम रामझ जाओगे । पमा, राते अधिक बौरा रही है, भात पर गो हो । –गाज्ञा ने मनी इन हथि पर जिम; इन। उ पशि -भ्रांत पुग्ने उनी में काम : २६