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पूछ लेते !-घण्टी ने उलाहगों की झड़ी लगा दी। विजय ने अपनी भूल का अनुभव किया । यह निश्चित नहीं है कि सौन्दर्भ में राब समय आकृष्ट कर ले। आज विजय ने एक क्षण के लिए औखें घोलकर घण्टी को देखाउस याचिका मे कुतूहल छलक रहा है । सौन्दर्य का उन्माद है ! अभिकर्षण है! विजय ने कहा- तुम्हें या कष्ट हुआ घण्टी ! घण्ट्री ने कहा-आशा है, अब कष्ट न दोगे ! पीछे से यापम में प्रवेश करते हुए कहा—बिजय बाबु, बहुत सुन्दर 'माप्त' है; देखिए यदि आप नादिरशाह का चित्र पूरा र नुके हो, तो एक भौतिषः चित्र बनाइए ! निजय ने दैया, थङ्ग सत्य है । एक कुशल शिल्पो की बनाई हुई प्रतिमा- घण्टी-पड़ी रही। बाथम चित्र देखने लगा। फिर दोनों जियो फो मिलाकर देया। इसने ससा -लाएन । इस सफलता के लिए बधाई ! | बिजव प्रसन्न हो रहा था। उसी समय वाघम ने फिर कहा--विजय बाबू मैं घोषणा करता हैं कि आप भारत वैः एक प्रमुख चित्रकार होंगे ! क्या आप मुझे आजा दें कि मैं इस अवसर पर आपके मित्र को कुछ उपहार हैं ? | विषम हँसने लगा । यायम ने अपनी उँगली से हीरे की अंगूठी निकाली और घण्टी की ओर बढ़ाना चाहा । वह हिच्वा रहा या । घण्टी हँस रही थी। विजय गै देखा, नान घण्टी फो अखिो में हीरे का पानी चमकने लगा था। उसने समझा, मह वालिफा प्रसन्न हो । पमुच दोनों हाथों में सोने की एक-एक पतली चूड़ियों में अतिरिक्त और कोई आभूपण घण्टी के पास न था। विजय ने कहा- तुम्हारी इच्छा हो, दो पहुन सगन्ती हो-प्रण्डी नै हाय फैशाफर से लिया। व्यापारी बाथम ने फिर गला साप करते हुए कहा-विजय यायु, पतन्त्र व्यवसाय और स्नानखनन का महत्व थाप लोग कम चमझते हैं, यही कारण है। fir भारतीयों के राम सेत्तम गुण दबे रह जाते हैं। मैं आज भापते पह अनु- रोध कशा है पि पिके माता-पिता चाहे जितने अनमान हों, परन्तु आप इस गला को व्यवसाय की दृष्टि से फीजिए। आप सफल होने, मैं इसे आपका सागर है ! या आप इस नभै माउस पर एक मौलिक चित्र बनानेंगे ? विजय में महा---ग्राम विश्राम करूंगा, फल अपने फहूंगा। कंकाल ४५ ध्यानसूची