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एक घूँट


बनाकर) ऐसा न देखने का अपराध करने के लिये मैं क्षमा माँगता हूँ।

(सब हँसने लगते हैं। ठीक उसी समय एक चँदुला, गले में विज्ञापन लटकाये, आता है। उसकी चँदुली खोपड़ी पर बड़े अक्षरों में लिखा है 'एक घूँट' और विज्ञापन में लिखा है 'पीते ही सौन्दर्य चमकने लगेगा। स्वास्थ्य के लिये सरलता से मिला हुआ सुअवसर हाथ से न जाने दीजिये। सुधारस पीजिये 'एक घूँट'––

कुञ्ज––(उसे देखकर आश्चर्य से) हमारे आश्रम के आदर्श शब्द! सरलता, स्वास्थ्य और सौन्दर्य। वाह!

रसाल––और मेरी कविता का शीर्षक 'एक घूँट!'

चँदुला––(दाँत निकालकर) तब तो मैं भी आप ही लोगों की सेवा कर रहा हूँ। है न! आप लोग भी मेरी सहायता कीजिये। इसीलिये मैं यहाँ...

रसाल––(उसे रोककर) किन्तु तुमने अपनी खोपड़ी पर यह क्या भद्दापन अंकित कर लिया है?

चंदुला––(सिर झुकाकर दिखाते हुए महोदय! प्रायः लोगों की खोपड़ी में ऐसा ही भद्दापन भरा रहता है। मैं तो उसे निकाल-बाहर करने का प्रयत्न कर रहा हूँ। आपको इसमें सहमत होना चाहिये। यदि इस समय आप लोगों की कोई सभा, गोष्ठी या

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