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*गाना*

वैष्णवो, तुमने कभी ये भी विचारा आजकल।
है कहाँ वह धर्मकी उन्नत अवस्था आजकल॥
जिस जगहथी धूम एकदिन रामराज्य बसंतकी।
होती जाती है वहीं ऊजड़ अयोध्या आजकल॥
आप तो श्रीराम से शुद्धात्मा बनते नहीं।
चाहते हैं, नारियाँ बनजायें सीता,आजकल॥
बस पढ़ेजाते हैं क़िस्से और कहानी रात दिन।
कोई करता ही नहीं है ज्ञान चर्चा आजकल॥
बढ़गया है धर्मके झगड़ोंका कुछ ऐसा विवाद।
उठता जाता है जगत से भाईचारा आजकल॥

(सब्र का जाना)

चौथा दृश्य

ऊषा का महल

ऊषा:–

गाना

अरे हाँ हाँ प्यारे, दरस दिखायमोरे मन को चुराय गये.
अब कहाँ गये हो छुपाय?
बाँकी झाँकी थी बिजली सम, चमकत गई बिलाय।
अब हा हा कर कर तारे गिनकर सगरी रजनी जाय।
अरे हाँ हाँ प्यारे।