पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/५५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ३८ )

पर चढ़ाई करने के पहले अपने किले की कमजोरी को दूर करना ही दूरदर्शिता है :-

जगेगे देश के सब वैष्णव तब देश जांगेगा।
पुकारों से इन्हीं की धर्म का उद्देश जागेगा ॥
सभी मत जब मिलेंगे, बैर की तल्वार टूटेगी ।
बहेगी प्रीति की धारा दुधारी बार टूटेगी॥

(प्रकट) भू मण्डल के सच्चे देव ! यह आपका दास श्रापसे कुछ प्रश्न कर सकता है ?

माधो०--हाँ, अवश्य।

कृष्ण--रामायणजी में किसका परित्र प्रधान है ?

माधो०--श्रीरामचन्द्रजी का।

कृष्ण--श्रीरामचन्द्रजी कौन थे ?

माधो०--कौन थे ? साक्षात् विष्णु भगवान् के अवतार थे। कृष्ण-अच्छा तो विष्णुजीका दिया हुआ कौनसाधर्म है ?

माधो०--वैष्णव ।

कृष्ण०--वह किसके द्वारा उन्नति के शिखर से भवनति की भमि पर आया।

माधो०--शैवों के।

कृष्ण--तो अब वैष्णव दल को जगाना है ना ?

माधो०--हाँ।

कृष्ण--आप भी कृपा करके वैष्णवों को जगाने में सहायता देंगे?

माधो०--अवश्य अवश्य । अबतक तो हम गुरुवाणी जी से निकली हुई रामायण जी काही सत्संगजी करते रहे, अब आप