गोमती०--चुप मूर्ख,गुरु की बात,काटता है ? भस्म होजायगा !
माधो०--नब दस हजार राजाओं से भी वह बड़ा नहीं उठा तब-
"नाना भटयोद्धानां प्रेषयामास रावणः"
रावण ने भटयोद्धाओ के नाना को भेजा । अंतर्यामी विष्णु अवतार रामजी ने भटों के नाना को भाते हुए जानकर हनुमानजी को बुलाया । उन्होंने-
“कपिःसंगृह्य तान् सर्वान् मर्दयामास सत्वरं।"
सब बड़ों को पकड़ २ कर जल्दी जल्दी मसल डाला ! तब वह पड़े परोसेगये और सब ने खाये । इत्यार्षे श्रीवाल्मीकीय रामायणे बालकांडे समाप्तम् । बोलो श्रीरामचन्द्र की जय ।
सब-जय।
माधो०--सुनो भाई, श्रीरामायणजी में लिखा है-
"दुर्लभं नाम रामस्य मनुष्यैरन्तिमे क्षणे"
अर्थात् अन्त समय में मनुष्यों को राम नाम नहीं ले मिलता। इसलिए अभी लेलो। बोलो श्री रामचन्द्र की जय ।
सब--श्रीरामचन्द्र की जय ।
कृष्णदास--(स्वगत) इन्हीं की-इन्हीं की-वैष्णव संगठन को इन्हीं जैसे पुरुषों की आवश्यकता है। संगठन ऐसे ही महात्माओं द्वारा हो सकता है :--
येही हैं संगठन शब्द को घर २ जो पहुंचायेंगे।
अपनी आवाजों से सोता वैष्णव धर्म जगायेंगे। (प्रकट ) महन्तजी महाराज, प्रणाम ।