दृश्य चौथा
-(स्थान रास्ता)-
[कृष्णदास का चन्द वैष्णवों के साथ आना]
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कृष्णदास--[आवेश पूवर्क ] संगठन, संगठन, संगठन करो। बिना मंगठन किए अब काम नहीं चलेगा। शेष लोग आज क्यों बढ़े हुये हैं जानते हो?
एक वैष्णव--जानते हैं, उनकी शक्ति इसलिए बढ़ी हुई है कि उनमें संगठन है।
दूसरा वैष्णव--हरहर महादेव की पुकार होते ही दल के दल घरों से निकल आते है।
तीसरा वैष्णव--इन शवों में धर्मान्धता बहुत पाई जाती है।
चौथा वैष्णव--और सब से बड़ी बात तो यह है कि राजा भी उनका साथी है।
कृष्णदास--इसीलिये तो मेरी राय है कि संगठन करो।
वैष्णव धर्म के माननेवालो, अपने इष्टदेव पर श्रद्धा रखनेवालो तुमने कभी यह भी सोचा है कि तुम क्यों कमजोर हो ? तुम सब एक अच्छे जानदार, सुगन्धि से परिपूर्ण, लहकते और महकते हुये पुष्प हो, परन्तु कमी इतनी है कि एक तागे में पिरोये हुए नहीं हो :--
बिखरे पुष्पों को नहीं, मिलता वह सुस्थान ।
जैपा गाला के सुग्न, पाते हैं सम्मान ।।