पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/२२

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*श्री*
अंक पहला


*दृश्य पहला*


(स्थान–कैलास)

[गिरि शिखर पर शिव-पार्वती का दिखाई देना, दूसरी ओर
वाणासुर का शिवजी की पिंडी के सम्मुख एकाग्र भाव
से खड़े हुए तप करते दिखाई देना]


पार्वती–[स्वगत]देख तपस्या भक्तकी, डोल उठा कैलास।

तपसी ने तप डोर से खींचे उमा-निवास॥
अबतक आतारहा है, स्वामीके ढिंगदास।

किंतु आज स्वामी चले निज सेवक के पास॥

शिव–प्यारी पार्वती देखरही हो? इसी वीर तपस्वी के तप के कारण आज वृक्षों से वायु का प्रवाह मंद है, नदी का जल बंद