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ॐ
* ऊषा-अनिरुद्ध *
नाटक
मङ्गलाचरण
[इस दृश्य को नाटक की प्रस्तावना समझिए]
* गायन *
नट नटी आदि––
जय गणपति, गणनायक, सुख के सदन सुखदायक।
एकदन्त दयावन्त सोहे सिन्दूर, मूषक सवारी,
भव भय हारी, विधनविदारी, कष्टनिवारी ॥जय॰॥