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ॐ
"श्रीराधेश्याम पुस्तकालय, बरेली" की
सवप्रिय, और भारत-विख्यात
*रामायण*
(ले॰–प॰ राधेश्याम कथावाचक)
यह 'रामायण' की कथा आज सैकड़ों कथावाचक बांच रहे हैं। यह कथा कितनी उत्तम है इसका अनुमान केवल एक इसी बात से हो सकता है कि आज तक कोई पन्द्रह लाखके क़रीब इसकी पुस्तकें भारत में पहुंच चुकी है। यह रामायण की पुस्तकें बीस हैं। अर्थात् बीस भागों में रामायण पूरी हुई हैं। अभी एक जिल्द में यह बीसो भाग नहीं छापे गये है। आप बीसों भाग मंगाकर जिल्द बंधवालीजिए।
नाम और दाम इस प्रकार हैं:—
जन्म | ///) | सीताहरण | ///) |
पुष्पवाटिका | ///) | रामसुग्रीव की मित्रता | ।) |
धनुष-यज्ञ | ।) | अशोकवाटिका | ///) |
विवाह | ///) | लङ्कादहन | ///) |
दशरथ का प्रतिज्ञा पालन | ///) | विभीषण की शरणागति | ///) |
कौशल्या माता से विदाई | ///) | अङ्गद रावण का सम्बाद | ///) |
वनयात्रा | ///) | मेघनाद का शकिप्रयोग | ।) |
सूनी अयोध्या | ///) | सती सुलोचना | ///) |
चित्रकूट में भरतमिलाप | ///) | रावण-वध | ।) |
पञ्चवटी | ///) | राजतिलक | ///) |
नोट…इन्हीं दामोंमें यह सब किताबें उर्दू में भी मिलती हैं,
पता…श्रीराधेश्याम पुस्तकालय, बरेली।