यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १२२ )
नारद--
जब तक रवि और शशि रहें, जबतक महि आकाश ।
तब तक ये दम्पति करे, जग में सुयश प्रकाश ।।
कृष्णदास :--
ऊषा और अनिरुद्ध का, पूर्ण हुआ सब काम ।
जय हरिहर,जयविष्णुशिव,जय श्री राधेश्याम।।
[अंत में फ्लाट फटकर हरिहर स्वरूप का दर्शन ]
समाप्त