पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/११७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१००)

इसे कलपाओगे जो तुम तो तम भी कल न पाओगे

अगर ऊषा को मारा तो उमा का दिल दुखाओगे।

______

ड्रापसीन