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- ओवा:--अच्छा, यदि तुम नहीं मानते हो तो मैं नारद जो
को स्मरण करता हूं। वह अभी आयेंगे और इस घटना पर प्रकाश डालकर उलझन सुलझायो ।
( श्रीकृष्ण के स्मरण करने पर नारद का गाते हुए आना)
- नारदः--[ गाना]
भजो रे मन राधा और गोविन्द ।
- उग्र०:--आइये, आइये, देवर्षि जी श्राइथे । आपकी कृपा से
हमारी चिन्तायें नसायेंगी और उलझी हुई कड़ियाँ सुलक जायगी ।
- बलगम:--नारद जी महाराज, क्या आपने कल रात का
किसी युक्ति द्वारा पहरे पर से सुदर्शन को हटाया था ?
- नारदः--हाँ !
- सबलोग:--[आश्चर्य से ] हाँ ?
- उग्र०:--यह कैसी आश्चर्यकारी दात है ?
- नारद:-सुनिये मैं सब सुनाता हूं । शैबो के राजा महाबली
वाणासर की एक कन्या ऊषा है।
- उग्र०:--है !
- नादः--उसकी सखी चित्रलेखा यहाँ आई और राजकुमार
को लेगई !
- बलरामः--और आपने चित्रलेखा को सहायता दी ?
- नारदः--हाँ,
- बलराम:--वह क्यों ?
- नारदः--वही तो सुना रहा हूँ । वाणासुर बड़ा अत्याचारी
और अभिमानी है। फिर भगवान शंकर से अजेय वर भी पाए