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द्वितीय सर्ग 7m ढरक दुलहिन मे? 1 (२८) "क्यो क्या हुआ एक ने पूछा, वृद्धा दूजी बोल उठी- "अरी, पूछती क्या हो ? वृद्धा में भी नृप-गृह बीच लुटी , बहू ऊम्मिला मे जब अटकी, सहसा गई दधि-मटकी, स्निग्ध-नेह बह चला अचानक, संभल-संभल, फिर-फिर मै लटकी, क्या आन्, क्यो उसे देखते सहसा ही उमडाय हिया, - मिथिला की जादूगरनी है, देख न क्यो अकुलाय हिया ? (२६) मंझली रानी पूछ उठी-क्या है इस नन्ही अखे पोछ कहा तब मैने-'यह मन्तर करती छिन मे ।' अहा बहू है या कि खिलौना, मिथिला का नवनीत सलौना, कौन ब्रह्म मे हो विदेह रत, लाए यह प्रसाद का दौना अब जब जनकपुरी जाऊँगी तो यह उन से पूछूगी ।" "पूछ क्या करोगी ? बूढी हो,"-"लली, तुझे समझा दूंगी।" (३०) मैंने भी लक्ष्मण की रानी, देखी है" तीजी बोली, 'कितना सुन्दर मुख, क्या लोचन, औ' कैसी मीठी बोली । सुकुमारता आई है, अथवा विधि की चतुराई है, आँखो मे वह क्या है देखू अहा अतल की गहराई है। उसे देखते ही यह अनुभव होता-मानो यह कई करोड बरस आगे जो दौड गई हूँ क्षण में, हूँ। ? अवध 7 1