पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/५६१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

षष्ठ सर्ग भौतिकवाद, शुष्क तर्को को ले, दिन रात मचलता है, प्रत्यक्षता-बाद के पीछे--- पीछे निशि-दिन चलता है, अन्ध-शक्ति एक पदार्थ जड,- ये उसके स्तम्भ बडे, भौतिकतावादी चलते है- दोनो को पकडे - पकडे, पर इन दो से विश्व-पहेली नही मुलभनी राजन, इनके पीछे चलने में वह- और उलझती है, राजन I कैसे आविर्भूत हुई यह नित्य - चेनना चिनगारी? कैसे अग्नि-शिखा यह जागी, एक रूप न्यारी - न्यारी ? जड पदार्थ से? अन्धशक्ति से? किससे चेतन भाव जगा ? इसी प्रश्न से समय-समय पर उठ-उठ भौतिकवाद ठगा, जड - वादी, भौतिकता - वादी, ये पदार्थ-वादी, सारे- इसी प्रश्न के कारण बरबस कह उठते है . हम हारे ।।