पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/५४४

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अम्मिला २५ तीन उच्च - सिहासन - मडित -सभा का मच बना, ज्यो जग-रग-मच पर मडित प्रासन त्रिगुणो का अपना, सिहासन के पीछे सज्जित वर-छत्र धर दास खडे, उनके पीछे नतमस्तक, पर अतिशय सजा, खवास खडे, सिहासन से कुछ नीचे दो इधर-उधर उच्चासन उनके नीच सामन्तो के सुन्दर जटित सुखासन है । 1 है मध्य म विभीषण नरपति, राज्ञी मन्दोदरी सहित, कैसे कोई गजेश्वर हो यदि वह है अर्थाग-रहित ह दाहिनी ओर सीता सह- अवधेश्वर रघुवर आसीन, बाई ओर विराज रहे है किष्किन्धेश्वर नीति प्रवीण, नीचे आसन पर श्री लक्ष्मण, अगद राज, विराज रहे, उनके नीचे सामन्तो सचिवो के दल भ्राज रहे ।