पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/५३५

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षप्ठ संग अतिक्रमित वन देश हो गया अवधि - उत्क्रमित काल हुआ, अग्नि-परीक्षा मे पारगत, रघुवर दशरथ लाल हुआ, निर्जन धन वन हुआ प्रफुल्लित, आजानान्ध कार कटा, जन-गण - मन-मदिर में जागी ज्ञान ज्योति, भूभार हटा, पाप कटा, अन्याय मिट गया, अनाचार का अन्त हुआ, सीता राम लखन का तप, जन-मगल-कर फलवन्त हुयी। ८ यो तो दिन पर दिन प्रतिदिन ही, कटते रहते है नर के, समय बिताना लिखा हुआ है, छिन-छिन एक-एक करके, कुछ को काल कलित करता है, कुछ करते है काल कलित, कुछ को समय चलाता रहता, कुछ करते है समय चलित, काल-प्रवर्तक, गति-परिवर्तक रामचन्द्र ने युग बदला, लुप्त हो गई त्रेता-युग की, घन अज्ञान-निशा प्रबला। 1 ५२१