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भूमिका के आरम्भ भाग में लेखक के विषय में कुछ फहने की प्रथा है। सुभद्रा कुमारी जी के नाम से हिन्दी का प्रत्येक साहित्य-सेवी तथा साहित्य-प्रेमी परिचित है। एक बार हिन्दी-साहित्य सम्मेलन ने, उनकी कविता पुस्तक मुकुल को स्त्रियों द्वारा लिखित वर्ष की सर्वोत्तम पुस्तक कहकर, उन्हें सेकसरिया पारितोषिक प्रदान किया था, और दूसरी बार विखरे मोती उनकी कहानी पुस्तक, पर भी उपर्युक्त पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया था। उनकी कहानियों का अनुवाद मेंने गुजराती भाषा में भी देखा है।

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यह स्वतन्त्रता का युग है। मानव-मात्र पूर्ण स्थतन्त्र होना चाहता है। मानसिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक तथा सामाजिक, सभी प्रकार को स्वतन्त्रता प्राप्त करने में वह लगा हुया है। पराधीनता उसे, किसी भी रूप में, स्वीकार नहीं।

स्वतन्त्रता की इस दौड में स्त्रियां भी पीछे नहीं रहना चाहतीं । यह नवीन चेतना घुछ तो इस स्वातन्त्र्य युग से ही उन्हें मिली है कुछ वह पुरुष समाज द्वारा खी जाति के साथ किये गए अन्यायपूर्ण, र व्यवहारों की प्रतिनिया के रूप में भी जानत हुई है। फलत धान वे अपनी जीवन धारा को इच्छानुकूल प्रवाहित करने को स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए समुत्सुक देस पड़ती हैं। ये अपने पैरों पर ही सडी हो जाना चाहती हैं। पाश्चात्य "फेमिनिस्ट मूवमेन्ट" (Feminist Movement)इसी नवीन चेतना का फल है। और इस अान्दोलन के प्रवर्तकों और प्रचारकों की कृतियों में हम इसी भावना को साकार पाते हैं। इब्सन (Ibsen) के एल्स हा० स (A Doll's House) तथा रोमाँ रोलाँ