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भूमिका

इस पुस्तक की लेखिका थी सुभद्रा कुमारी चौहान की इच्छा है कि मैं इसकी भूमिका लिखूं। मैं चाहता तो यही था कि किसी प्रतिभा -सम्पन्न फलाविद्द तथा प्रख्यात समीक्षक पर ही इस कार्य का भार सौंपा जाता, वह उसे अधिक योग्यता और अधिकार के साथ सम्पादित करता। फिन्तु बात तो सच यह है कि यह, इच्छा ही नहीं, कुमारी जी का आग्रह है, उसे टालने की क्षमता मुझ में नहीं। अतएव कुछ-न-कुछ लिखना आवश्यक है।

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