"तो तुम मुझसे कह के पाते कि तुम यहा दो तीन रह
सकतीदा तो में रह जाती। अम्मा तो रोक रही था। कहो
तो अब चली जाऊँ"
"हा हा चली जाना" विनोद ने मुह से ही कहा हृदय कहता था कि खबरदार अगर यहा से हिली भी तो ठीक न होगा।
विमला चाली "अच्छा बाबू जो कचहरी से लौटेंगे तो उन्हीं की कार पर चली जाऊगी" चिन्तु बापू जी के कचहरी स लौग्ने क पहिले ही दानों का मेल हो गया विमला का फिर मा के घर जाने की आवश्यकता न पडी। इसके बाद विनोद को विमता ने अपने और अखिलेश के सम्बन्ध में सब कुर बतलाया । उसी दिन विमला को यह भी मालम हुया कि अखिलेश विनोद का सहपाठी होने के साथ ही साथ अभिन्न हृदय मित्र भी है। यह जान- कर भी कि अखिलेश घिमला का राखीवन्द भाई है, न जाने क्यों विनोद का असिलेश के प्रति विमला का म्नह भाव सहन न होता था। साथ ही साथ वह अखिलेश का अपमान भी न सह सकते थे, क्योंकि यह अखिलेश का भी बहुत प्यार करते थे।
नापाढ का महीना था। और इसी महीने में अखिलेश विदेश स लौट कर आने वाले थे। एक दिन विमला की माने विमला भव्हला भजा कि "माज शाम की ट्रेन स अखिलेश लौटेंगे, सेशन चलने के लिए तैयार रहना मकार भेजदूगी" । विनोद कहीं बाहर गए थे लौटन के याद जल पान करके बैठे तय विमला ने उनसे कहा,-