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विमला के हाथ पर इकन्नी रखकर उसके पैर छू लिए ।पैर छू कर वह ज्योंही ऊपर उठा, सामने धिमलाकीमाखडी थी। उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे, उसे याद ना रहा था अखिलेश के साथ का ही उसका वच्चा, यदि अाज यह होता तो वह भी १२ साल का होता। सहसा मा को सामने देखते ही विमला कुछ संकोच में पड गई इक्नी को मुट्ठी में दवा फर वह चुपचाप एक तरफ खड़ी हो गई। अखिल दो कदम आगे यढकर घोला- 'चाची विग्नो ने श्राज मुझे गखी बाधी है और मेंने उसे एक इकन्नी दी है। अब यह भी मेरी बहिन हो गई न चाची? माँ ने अखिल को पकड कर प्यार से हृदय से लगाते हुए गद्गद् कंठ से कहा- "हाँ और तू होगया मेरा बेटा अखिल !" अखिलेश ने विमला की माँ की यात सुनी या नहीं। किन्तु वह अपनी एक बहिन के कारण बहुत परेशान रहता था। यह उससे सदा लडती थी। यह कुछ चिंतित सा होकर योला- "पर चाचो ! चुन्नी तो मुझसे बहुत लडती है। यिग्नो पहिन हो गई तो क्या यह भी अब मुझ स लडा करेगी ?" "नहीं रे पगले ! सव वहिने नहीं लडा करती" मा ने कहा, और दानों बच्चों को लकर घर गई । उस दिन से अखिल के दा घर होगए। दो घरों में उसे माता की ममता, पिता का दुलार और हिन का स्नेह मिलने लगा। [ २ ] इस खिलवाड को हुए प्राय श्राठ साल चोत गए। विमला अब १७साल की युवती थी। विमला और अखिलेश