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उपयोगितावाद के सिद्धान्त की सनद


भी, जिनका अभी वर्णन किया जा चुका है, ऐसा होता है। बाहरी हेतुओं की अनुपस्थिति तथा विपरीत लेजाने की दशा में यह निश्चय ही मार्ग से विचलित नहीं होने देता है। भिन्न २ मनुष्यों में उनकी प्रकृति के अनुसार इस प्रकार के निश्चय की शक्ति कम या अधिक अवश्य होती है किन्तु उन मनुष्यों के अतिरिक्त, जिन में नैतिक विचारों का बिल्कुल ही अभाव है, ऐसा आदमी कोई ही होगा जो केवल अपने मतलब ही से मतलब रक्खे और बिना मतलब के दूसरों के हित की ओर बिल्कुल भी ध्यान न दे।