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उपयोगितावाद

प्रकार के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। वैद्यकशास्त्र इस ही कारण अच्छा है कि वह स्वास्थ्य प्रदान करता है। किन्तु यह प्रमाणित करना किस प्रकार सम्भव है कि स्वास्थ्य अच्छा है? सङ्गीतशास्त्र अच्छा है क्योंकि उसके अच्छा होने के प्रमाण में एक यह बात भी कही जा सकती है कि वह आनन्द प्रदान करता है। किन्तु आनन्द अच्छा है इस बात की पुष्टि में क्या प्रमाण देना सम्भव है। अब यदि ऐसा कहा जाय कि एक सूत्र हो जिसके अन्दर सब ऐसी चीजें आजायें जो स्वतः अच्छी हों तथा इसके अतिरिक्त जो कुछ अच्छा हो वह स्वतः अच्छा न हो प्रत्युत् इस कारण अच्छा हो कि किसी स्वतः अच्छी चीज़ की ओर ले जाने वाला है, तो ऐसे सूत्र को या तो मानलिया जा सकता है या मानने से इन्कार कर दिया जा सकता है किन्तु इस प्रकार का प्रमाण साधारण अर्थों में प्रमाण नहीं है। यह मतलब नहीं है कि ऐसे सूत्र को अन्ध आवेग या मन की मौज के कारण मान लेना चाहिये या अस्वीकृत कर देना चाहिये। प्रमाण शब्द के विस्तृत अर्थ भी हैं। इस अर्थ के अनुसार इस समस्या का भी दर्शनशास्त्र की अन्य विवाद-ग्रस्त समस्याओं के समान उत्तर दिया जा सकता है। यह विषय आनुमानिक शक्ति का विषय है। किन्तु इस शक्ति से भी बिल्कुल प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं होता है केवल इस प्रकार के विचार उपस्थित किये जा सकते हैं कि जिन के प्रकाश में बुद्धि या तो इस सिद्धान्त को स्वीकार करले या अस्वीकृत करदे। यह बात भी प्रमाण ही के बराबर है।

हम अभी इस बात की परीक्षा करेंगे कि ये विचार किस प्रकार के हैं, किस प्रकार इस सिद्धान्त पर लागू होते हैं और