सन् १८६८ ई॰ में पार्लियामैण्ट का नया चुनाब हुवा। इस बार मिल के प्रतिपक्षियों ने बड़ा जोर बांधा। टोरी दल तो बिल्कुल विरुद्ध था ही भारत-हितैषी ब्राडला साहब के चुनाव में आर्थिक सहायता देने तथा जमैका के गवर्नर को दण्ड दिलाने का प्रयत्न करने के कारण बहुत से लिबरल दल वाले भी उसके विरुद्ध हो गये। परिणाम यह निकला कि इस बार मिल वैस्टमिनिस्टर की ओर से मैंबर निर्वाचित होने में असमर्थ रहा। वैस्टमिनिस्टर में मिल की असफलता का समाचार सुन कर तीन चार अन्य स्थानों के आदमियों ने मिल से इस बात का प्राग्रह किया कि वह उनके वहां से उम्मैदवारी के लिये खड़ा हो, किन्तु मिल ने फिर इस झगड़े में पड़ना उचित न सझता।
पार्लियामैण्ट के झंझट से छुट्टी पाकर मिल ने फिर लेख लिखने का कार्य आरंभ कर दिया। Subjection of Women अर्थात् 'स्त्रियों की पराधीनता' नामक पुस्तक भी छपा कर प्रकाशित की।
सन् १८७३ ई॰ में ६७ वर्ष की आयु में मिल ने इस संसार को सदैव के लिये छोड़ दिया।
"हक़ मग़फ़रत करे अजब आज़ाद मर्द था"
उमराव सिंह कारुणिक