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सन् १८३० ई॰ में मिल के जीवन ने नया पलटा खाया। इस वर्ष उसका मिसेस टेलर से पहिले पहिल परिचय हुवा। यह बड़ी विदुषी स्त्री थी। मिल के विचारों पर इस स्त्री के विचारों का बहुत कुछ प्रभाव पड़ा।

सन् १८३२ ई॰ में मिल ने तर्कशास्त्र (System of Logic) नामक ग्रन्थ लिखना आरम्भ किया। अवकाशाभाव के कारण यह ग्रन्थ १८४१ ई॰ में पूर्ण हुवा। मिल ने यह ग्रन्थ बहुत से ग्रन्थों का मनन करके बड़े परिश्रम से लिखा था। मिल ने यह ग्रन्थ बिल्कुल ही नई पद्धति पर लिखा था। इसके प्रकाशित होने का प्रबन्ध करने में कोई दो वर्ष व्यतीत हो गये। १८४३ ई॰ की वसन्त ऋतु में यह ग्रन्थ प्रकाशित हुआ। यद्यपि उस समय इंगलैण्ड में गूढ़ विषय की पुस्तकों की क़द्र नहीं थी, किन्तु फिर भी छः वर्ष ही में इस ग्रन्थ के तीन संस्करण निकल गये।

सन् १८४५ ई॰ में मिल ने अर्थशास्त्र (Political Economy) नामक ग्रन्थ लिखना आरम्भ किया। १८४७ ई॰ में यह ग्रन्थ पूर्ण हो गया। इस ग्रन्थ में मिल ने केवल अर्थशास्त्र के तत्वों ही का विचार नहीं किया है, वरन् इंगलैण्ड, स्काटलैण्ड आदि देशों के तत्कालिक इतिहास के प्रत्यक्ष उदाहरण देकर यह भी दिखाया है कि उक्त तत्व किस प्रकार व्यवहार में आ सकते हैं। मिल के इस ग्रन्थ की भी अच्छी बिक्री हुई।

इसके बाद कुछ दिनों तक मिल ने कोई महत्वपूर्ण ग्रन्थ नहीं लिखा। केवल फुटकर लेख लिखता रहा।

१८४९ ई॰ में मिसेस टेलर के पति का देहावसान हो गया। मिल अभी तक कुंवारा था। इस कारण उसने १८५१ ई॰ में मिसेस टेलर के साथ विवाह कर लिया। दोनों में मित्रता का संबन्ध तो पहिले ही से था। अब यह संबन्ध और भी घनिष्ट हो