लगभग १४ वर्ष की आयु में अपनी गृह-शिक्षा को समाप्त कर मिल देशपर्यटन के लिये निकला और एक वर्ष तक सारे योरुप में घूमा।
सन् १८२३ ईस्वी में सत्रह वर्ष की अवस्था में मिल ने ईस्ट इन्डिया आफ़िस में नौकरी कर ली। किन्तु अध्ययन करने तथा लेख लिखने का काम बराबर जारी रक्खा और वैस्ट मिनिस्टर रिव्यू में नियमित रूप से लेख देने लगा। धीरे २ उसते वक्तृता देने का अभ्यास भी कर लिया।
सन् १८२८ ई॰ में मिल ने कतिपय कारणों से वैस्ट मिनिस्टर रिव्यू से अपना संबन्ध तोड़ लिया।
सन् १८२९ के जुलाई मास में फ्रांस की प्रसिद्ध राज्य-क्रान्ति हुई। क्रान्ति का समाचार सुनते ही मिल फ्रांस गया और प्रजा के प्रसिद्ध नेता लाफ़ायटी से मिला। राज्य-क्रान्ति के विषय में मुख्य २ बातों का ज्ञान प्राप्त करके इंगलैंड लौट आया और समाचार पत्रों तथा मासिक पत्रों में क्रान्ति के संबन्ध में जोर शोर से आन्दोलन आरम्भ कर दिया।
इङ्गलैण्ड की पार्लियामैन्ट के सुधार के सम्बन्ध में भी प्रतिभाशाली लेख लिखने आरम्भ कर दिये। सन् १८३१ ई॰ में 'वर्तमान काल की महिमा' नामक एक लेख माला लिखनी आरम्भ की। इस लेखमाला के लेखों की नूतनता तथा विद्वत्ता ने प्रसिद्ध तत्वज्ञानी कार्लायल तक को चकित कर दिया। कार्लायल स्वयं आकर मिल से मिला। सन् १८३०-३१ ई॰ में मिल ने 'अर्थशास्त्र के अनिश्चित प्रश्नों पर विचार' (Essays on Unsetteled Questions in Political Economy) शीर्षक पांच विद्वत्तापूर्ण निबन्ध लिखे।