५––मुग़लों के अन्तिम दिन।
उर्दू के प्रसिद्ध लेखक मुसव्विरे फ़ितरत श्रीयुत ख़्वाजा हसन निजामी के अन्तिम मुग़ल राजकुमार तथा राजकुमारियों से सम्बन्ध रखने वाले लेखों का सरल तथा सरस हिन्दी में रूपान्तर। बहादुरशाह बादशाह और उन के बीवी बच्चों की आपबीती दुःखभरी सच्ची कहानियां।
पुस्तक को पढ़ने से पाठकों को मालूम होगा कि जिन मुग़ल सम्राटों के सामने एक दिन सारा भारतवर्ष सर झुकाता था उन्हीं के वंशज आज पेट भर रोटी को तरसते हैं। कोई चपरासी का काम कर रहा है और कोई ठेला चला रहा है। कोई भीख मांगकर ही ज़िन्दगी के दिन पूरे कर रहा है। पुस्तक ऐतिहासिक होने के साथ ही साथ मनोरञ्जकता की दृष्टि से अच्छे २ उपन्यासों का मात करती है। एक बार आरम्भ करके बिना समाप्त किये छोड़ने को जी नहीं चाहता।
पुस्तक के आरंभ में एक सारगर्भित भूमिका है जिस में मुग़ल साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास है।
पुस्तक सचित्र और बहुत अच्छे काग़ज़ पर रंगीन स्याही में छपी है। कुल मिला कर १६२ पृष्ठ हैं। तिस पर भी सर्व साधारण के सुभीते के लिये मूल्य लागत मात्र केवल ॥⇗) रक्खा गया है।
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१––अनार कली।
कवि सम्राट् रवीन्द्रनाथ टैगोर की एक प्रसिद्ध गल्प का सरल तथा सरस हिन्दी अनुवाद। जहांगीर बादशाह और नादिरा बेगम के सैंकड़ों वर्ष पुराने प्रेम का जीता जागता चित्र। मूल्य ///)॥