फिर उस अपराध को दुबारा न करे तथा दूसरे लोग उसका अनुसरण न करें। इस से अधिक दण्ड देना उचित नहीं है।
एक और विषय का, जिसका पहिले वणन हो चुका है, उदाहरण लीजिये। Co-operative Industrial Association में कार्य-दक्षता के कारण अधिक प्रतिफल देना न्यायसंगत है या नहीं? जिन लोगों का विचार है कि कार्य-दक्षता के कारण अधिक प्रतिफल देना उचित नहीं है उन लोगों का कहना है कि जो कोई भी यथाशक्ति प्रयत्न करता है बराबर प्रतिफल का अधिकारी है। जितना उससे हो सकता है वह करता। यह उसका क़सूर नहीं है कि वह अधिक दक्ष नहीं है। इस कारण उसे कम प्रतिफल देना उचित नहीं है। कार्य में अधिक दक्ष होनेवालों को तो और भी बहुत से लाभ हैं। उनकी प्रशंसा होती है। उनका प्रभाव अधिक होता है। दक्षता के कारण उनका चित्त अधिक प्रसन्न रहता है। इस कारण उसको अधिक प्रतिफल देने की आवश्यकता नहीं है। न्याय तो यह कहता है कि समाज को ऐसा प्रबन्ध करना चाहिये कि जिससे सब मनुष्यों को उन्नति का समान अवसर रहे। समाज को उन लोगों के साथ और रियायत नहीं करनी चाहिये जिन्हे पहिले ही से उन्नति का अधिक अवसर है। जिन लोगों का विचार है कि कार्य-दक्षता के कारण अधिक प्रतिफल मिलना चाहिये उनका कथन है कि दक्ष कारीगर समाज का अधिक काम करते हैं तथा उनका काम अधिक फ़ायदेमन्द होता है इस कारण वे लोग अधिक प्रतिफल के अधिकारी हैं। जो काम सब आदमी मिल कर करते हैं उस काम में दक्ष कारीगर का अधिक भाग होता है, इस कारण उसको अधिक