परेड पर जमा हुई। कमान अफसर १८० सवार और दो तोपें
लेकर आया सिपाहियों ने कहा कि साहिब यह सुनकर कि
हम लोगों से ज़बर्दस्ती कारतूस कटवाने को गोरे बुलवाये
गये हैं अड़ा डर पैदा हुआ है कर्नल मिचिल ने समझाया कि
अब कारतूस दांतसे नहीं काटने पड़ेंगे हाथसे तोड़कर बंदूक
में भरे जावेंगे पलटन अपनी लेनको चली गयी। लार्ड केनिंग
ने इस ख़याल से कि दूसरी पलटनें भी उन्नीसवीं का तरीका
न इख़तियारकरें उन्नीसवीं पलटनको कलकत्ते के पास बारकपुर
की छावनीमें बुलवाकर उसकानाम कटवा दिया। इसीके बाद
वहां बारकपुर में चौतीसवीं पलटन के किसी सिपाही ने अपने
किसी अफसर पर चोट चलायी उसके साथियों ने उसे गिरफ्तार
तक न किया। सज़ा में इस चौतीसवीं पलटन की भी सात
कम्पनियों का नाम काटा गया। और दो आदमियों के लिये
फांसी का हुकम हुआ। सतरहवीं को दो आदमी काले पानी
भेजे गये गवर्नमेंट का इरादा था कि इस तरह पर झटपट
सज़ा देदिलाकर सरकशी दबादेवे लेकिन सिपाही उलटे और
भी बिगड़गये॥ पांचवी मईको मेरटमें तीसरे रिसालेके पचासी
सवारों ने कारतूस काममें लाने से इन्कार किया। और नबों
को कोर्टमार्शलसे उन्हेंसख़्त मिहनतकेसाथ जुदा जुदा मीआद
की केदका हुक्म मिला। दूसरेही दिन तमाम हिंदुस्तानी
फौज ने जो उस वक्त वहां छावनी में थी यानी उस रिसाले
के साथ दो पलटनों ने मिल कर बलवा किया। कैदियों को
जेलखानेसे निकाल दिया। अपने अफसरों पर गोली चलायी।
छावनी में आग लगायी। फरंगी जो हाथ लगे सब को मार
डाला। न ओरत म बच्चा उन पापियों के हाथसे बचा। और
तअज्जुब यह कि बाईस सौ गोरों की फ़ोज़ वहां मौजूद थी
लेकिन कमान अफसर ने कुछ हाथ पैर न हिलाया। तमाम
बलवाइयों को मज़ेसे दिल्ली चले जाने दिया। इन्होंने दिल्ली
में भी, वही मेरट का सा हाल किया। शाह आलम के पोते
बहादुरशाह को जो वहां किले में गवर्नमेंट से पिंशन पाताथा
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