रजीर्डट मुक़रर करके नये सिरेसे तहकीकात का हुक्म दिया
जिस से मालूम हो कि कर्नल स्लीमन के रिपोर्ट पर बादशाह
ने इन्तिज़ाम की क्या दुरुस्ती की। जेनरल उटरम ने ख़ूब
तहकीक करके बहुत अफसोस के साथ लिखा कि दुरुस्ती कुछ
भी नहीं हुई है। और न होने को कुछ उमेद है। लार्ड डलहौजी
ने देखा कि अब चुप रहना गुनाह में दाखिल होगा कोर्ट आफ डेरेकृर्स को लिख भेजा कि बादशाह बनारहे। लेकिन दीवामी फौजदारी का इखतियार ले लिया जावे। जेनरल लो जो कर्नल स्लीमन से पहले रजीडंट थे। अब कोंसल में भरती होगये थे। सब मिम्बरों ने लार्ड डलहौसी की राय से इत्तिफाक किया। लेकिन दो मिम्बरों ने सिवाय जबती के और किसी तद्वीर में कुछ फाइदा न देखा। दो महीने के कालिख गोर बाद कोर्ट आफ डेरेकर्स ने बोर्ड आफ कंट्रोलको मंजूरी के साथ ज़ब्ती का हुक्म लिख भेजा बादशाह को १८५६ ई०ज्ञपंदरह लाख पिंशन दिया। बादशाह ने अपना देरा कलकत्ते में जा किया।
कम्पनी की सनद में जो मीयाद गुज्जर्ने पर सन् १८५३ में नयी मिली। नयी बात तीन दर्ज हुई। पहले यह कि कोर्ट आफ डेरेकृस के मिस्बरों की तादाद लोस से अठारह होगयी। उस में भी छ की मुकर्ररी शाही अहल्कारों के इखतियार में रही। दूसरे बंगाले और पसाब का एक एक लेफ्टिनेंट गवर्नर शुदा मुकार हुआ। तीसरे सिविल सर्विस के लिये इमतिहान का काइदा मुकर्रर होकर इस पर से कोर्ट आफ डेरेकर्स का खतियार उठ गया।
लार्ड केनिंग
माग्न लार्ड डलहौसी अपनी माझाद खतम होने पर विला:
सत चले गये। और यहां उनकी जगह पर लाई केनिंग आये।
अब मुख़्तसर सा कुछ हाल बलवे का लिखते हैं। अंगरेज़
लोग अब तक इस के असली सबब. पर बहस करते हैं। उन
को शायद इस से बढ़ कर कभी कोई तअज्जूब न हुआ होगा