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इतिहास तिमिरनाशक

बम्बई की फ़ौज पहुंचाने से जेनरल हिशमे मुल्तान के किले पर हल्ला करने की तयारी की लेकिन २० दिन लड़ कर १८४३ ई० ओर थक कर बाईसबीं जनवरी १८४३ को मूलराज ने किला 'हवाले कर दिया और जेनरल ह्विस के पास चला आया। जेनरलह्विश कमांडरइनचीफ़से जा मिला। और इसके शामिल होने से कमांडरइनचीफ़ के पास सौ तोप के साथ बीस हज़ार का लश्कर हो गया। शेरसिंह के पास भी गुजरात में ६० तोप और पचास हज़ार आदमियों की भीड़ भाड़ थी। बाई. सवी फेब्रुअरी को लड़ाई हुई। सिक्खोंने शिकस्त खायी। ५३ तोप सकार के हाथ आयी अंगरेज़ों ने सिंध तक पीछाकिया। बारहवीं मार्च को शेरसिंह और चतरसिंहने जो कुछ रहगया था सब समेत अपनेतई जेनरल गिल्बर्ट के हवाले करदिया। दोस्त मुहम्मद अपने आदमी लेकर काबुल चला गया। एक लड़काउसकायहांखेतरहा। गुरू महाराजसिंह पकड़ागया पहाड़ी राजाओं ने भी अपने कियेका फल पाया। उन्तीसघीं मार्च को गवर्नर जेनरल लार्ड डलहौजी ने पंजाब की जब्ती का इश्तिहार जारी फर्माया। ख़ज़ाना तोपखाना बिलकुल सर्कार के कबजे में आया। कोहनूर हीरा कैसरहिन्द एम्परेस विकृो. रिया को नज़र भेजा गया। दलीपसिंह पांच लाख रुपयेसाल पिंशनपर फतहगढ़ यानी फर्रुखाबादगये। और वहांसे ईसाई होकर इंगलिस्तान में जा रहे। सदार चतरसिंह शेरसिंह ने ‘साथ नज़रबंद रहने को कलकत्ते भेजा गया। मूलराज काले पानी यानी अंडमान टापू को रवाने हुआ लेकिन गस्ते ही में मरा।

पंजाब की हुकूमत के लिये गवर्नर जेनरल ने बोर्ड आया अडमिनिस्ट्रेशन मुकर्रर किया उसमें सर हेनरी लारंस उन के भाईजान लारंस और मांसल तीन मिम्बर रहे। थोड़े ही दिनों बाद मांसल को सरः रावर्ट, मांटगमरी आ गये। जिस तरह लार्ड एलनबरा ने सिंध अंगरेजी अमलदारी में मिलाया था लार्ड डलहौसी ने पंजाब मिलाया । लेकिन लार्ड