दोनों साथ थे। क़िले के दर्वाज़े से बाहर निकलते ही
किसी सिपाहीने अगन्यू साहिबको बर्छी और तलवारसे घायल
किया। और फिर थोड़ी ही दूर आगे अंडर्सन साहिबका भी
यही हाल हुआ। मुज़रिम भाग गये। साहिबों को उस के
आदमी उठाकर डेरे में लाये। दूसरे दिन सुबह को क़िले से
अंगरेज़ी लश्कर पर गोले चलनेलगे। शामतक अंगरेज़ी फ़ौज
के सब लोग मूलराज से जामिले कुल पच्चीसतीस आदमीदोने
साहिबों के पास रह गये। इक्कीसवीं को मूलराज की फ़ौजने
निकलकर इन पर हमला किया। और दोनों घायल साहिबों
को उसी जगह मार डाला। जबयह खबर लाहौरमें पहुंची
उसी दम कुछ फ़ौजन शेरसिंह के साथ मुल्तान को रवानाकी
गयी। और बहावलपुरके नव्वाबको और लेफ्रिनेंटइडवार्डिस
को जो उन दिनों हज़ारे की कमान परधा ओर फ़ीरोज़पुरकी
फ़ौज की हर तरफ़ से मदद के लिये कूच करने को ताक़ीद
हुई। इसी अ़र्से में लाहौर के दर्मियान रानी के आदमियोंने
सर्कारी फ़ौज के कुछ सिपाहियोंसे मिलकरइसतरह की साज़िश
की कि एकही दिन वहां सब साहिब लोगों को ज़हर दें और
क़ैतल कर डालें लेकिन भेद खुल जाने के सबब रानी चंदा
तो चनार के क़िले में क़ैद रहनेके लिये †बनारसभेजी गयी।
औरउसकेआदमी गंगारामखानसिंह और गुलाबसिंह फांसीदिये
गये बाक़ी मुफ़सिदों ने अपने अपने कुसूरके मुवाफ़िक़सज़ापाई
गवर्नर जेनरल का इरादा था कि ज़ाड़े तक यह मुहिम्म
मुल्तबी रहे। लेकिन इक्बाल ज़बर्दस्त क्यों ऐसा बट्टा लगे।
लेफ्रिनंट इंडवार्डिस जो सरहद्द परथा बारहसो जवान ओर
दो तोप लेकर सिंधु इस पार उतर आया। और कर्नलकोर्ट-
लैंड के साथ जो कुछ थोड़ी सी फ़ौज मुलतानकी तरफ़जाती
†चनार के क़िले से नयपालं भागी और वहां बहुत दिनों
तक महाराज जंगबहादुर के पास रहकर दलीपसिंह के साथ
इंगलिस्तान गयी मरने पर उसकी लाश दाहक्रियाके लिये
गोदावरी के तीर पंचबटी में आयो।