पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/६३

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दुसरा खण्ड


रसद को तंगी थी इंधन भी मौजूद न था। बर्फ दो दो फुट पड़ गयी थी नाचार कर्नल पामर ने वहां के तमाम सर्दारों से इस बात की कसम लेकर कि जब तक बर्फ से राह बंदहे. सर्कारी सिपाह शहर में रहे और राह खुलनेपर सार्दारलोगउसे हिफ़ाज़त से पिशावर तक पहुंचा दें किला ख़ालीकर दिया। लेकिन जब बलवाई दूसरे ही दिन-इन पर हमला करनेलगे। सिपाहियों ने घबराकर रात के वक्त शहरपनाह में छेद किया और सब के सब बाहर निकल पड़े ॥ उन्हें यह ख़यालथा कि पिशावर पच्चीसही तीस कोसहे धावा मारकरचले जायेंगे लेकिन बर्फ में कदम कब उठ सकता था। सुबह होतेही सबकेसबमारे और पकड़े गये अंगरेज़ों ने अपने तई फिर नयी कसमें लेकर सदारों के हवाले कर दिया।


लार्डऐलनबरा

इस अ़र्समेंलार्ड अकलैंड विलायत चला गया। और लार्ड एलनबरा आखिर फेब्रुअरी में उसको जगह गवर्नर जेनरल १८४२ई० मुक़र्रर होकर भाया। लार्ड अकलैंड मे जानेसे पहले जलाला- बादवालों की कुमक के लिये पिशावर में फ़ौज जमा होने का हुक्म जारी कर दिया था। लेकिन अब एक दफा फिरकाबुल तक जाना और अफगानों को सर्कारी फौज का ज़ोर दिखला देना बहुत मुनासिब समझा गया। यहफ़ौज अप्रैलमें जेनरल पालक के साथ पिथावर से काबुल को तरफ रवाना हुई पालक साहिब घाटों में पहले ही से कुछ कम्पनियां पल्टनों को दुतरफ़ा पहाड़ोंपर चढ़ादेते थे। इस बाइसअफगानंऊपरसे मोलियां नहीं चला सकते थे अगर चलाने को जमा भी होते सकारी सिपाही उनकी खूब खबरलेते थे। सोलहवीं अप्रेलको जलालाबाद में दाखिल हुए। क़िलेवालों के गोया सूखेहुएखेत फिर लहलहाये। अगस्त तफ़ौज उसीजगहठहरीरही। अगस्त में फिर आगे बढ़ी। रास्ते में अक्बरखाँ ने सोलह हज़ारअफ् गानों के साथ सर्कारी फ़ौज का मुकाबला किया लेकिन कुछ पेश न गयी भागना पड़ा। पंदरहवीं सितम्बर को सारीफ़ौज