पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/६१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५६
इतिहास तिमिरनाशक


के बारस रास्ते में मारा गया और सर बिलियम मेकमाटन पर जब उन्हों ने अकबरखांँ के क़ाबूसे निकलना चाहा उसने तपंचा चलाया और फिर उस के साथियों ने इन्हें टुकड़े टुकड़े कर डाला। फ़ौजवालोंकी इसपरभी आंख न खुली। फिर अक- बरख़ां से सुलह की बात चीत को। उस दगाबाज़ने यह शर्त ठहराई कि सर्कारी फ़ौज तमाम ख़ज़ाना और तोपखाना उसी जगह छोड़दे। सिर्फ छः तोपों के साथ हिंदुस्तान को राह ले। बर्फ़ पांच इंचसे ज़ियादा पड़गयी थी। सर्कारी फ़ौज साढ़ेचार हज़ार सवार सिपाही और बारह हज़ार बहीर लड़के लुगा इयों की गिनती नहीं छठी जनवरी को पहर दिन चढ़े वृह- स्पतके दिन छावनी छोड़कर जलालाबाद रवाना हुई। बीमारों को अकबरख़ां के सपुर्द किया। सातवीं को काबुलसे पांचकोस पर बुतख़ाच में देरा पड़ा अपमानों ने हर तरफ से हमला करना शुरूकरदिया। सारीफ़ौजको अपनी तो आपही कीलनी पड़ी अकबरखां साथ था। बेईमान हिफाज़तकेलिये पायाथा। जब उस से कहा कि यह क्याहै। जवाब दियाकि बेकाबू हूं यह लोग मेरा कहना नहीं मानते फारसी में सर्कारी आदमियों को सुनाकर उन्हें धमकाता था कि ज़बरदार सर्कारी फ़ौज को हर्गिज़ न छेड़ी पस्ती * में उन्हें शह देताथा कि हां एक की भी इन में से जीता न छोड़ो मुआमला दीन का है। आठवीं को खु़र्दकाबुल का घाटा पार हाना था यह पांच मील लम्बा है। दोनों तरफ अक्सर पांच पांच सौ फुट तक सीधे उंचे पहाड़ खड़े हैं तफावत दोनों किनारों में ५० गज़ से ज़ियादा नहीं है। नदी जो उस में जोर शोर से बहतीहै । अट्ठाईसबार उतरनी पड़ती है। गिलज़ई अफ़ग़ान उन पहाड़ों के ऊपर से गोलियों का मेहबरसातेथे। सर्कारी फ़ौज के हथियार निरबे काम थे। ये जमीन पर। औरवे पासमानपर। कहतेहेंकिउस रोज़ सीन हज़ार से ज़ियादा आदमी इस घाटे में मारे गये नवीं को नाहक खुर्दकाबुल में मुक़ाम रहा अकबरख़ांने कहला


अफ़ग़ानों कीज़ुबान।