पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/५९

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दुसरा खण्ड


खाने से आदमी अपनी अ़क्ल और अपनी ताक़त का भरोसा न रखकर सदा परमेश्वर का सहारा ढूंढ़ता है और उसके डर से जु़ल्म और गै़रवाजिब काम न करके पूरी तरक्क़ी की पहुंचता है। जो ठोकर न खाय घमंड में डूबकर फिऱऔन• की तरह यकबारगी नाश हो जाता है। निदान अब आगे अंगरेज़ी अफ़्सरों के जो जो काम काबुल में सुनोगे बस यही कहोगे "विनाशकाले विपरीत बुद्धि:" निदान वहां बलवा होने की असल यों बयान करतेहैं कि किसी अफ्गा़न सर्दार ने किसी अंगरेज़ी उहदेदार की कुछ शिकायत। उसको अफ़सर से की। अक्सर ने कुछ भी नहीं सुनी। सख़्त सुस्त कहके निकलवा दिया और यह बात कुछ उसी के वास्ते था नयी न थी। उस अफ़्ग़ान ने इसबात की शिकायत शुजा से की। शुजा के मुंहसे उस वक़्त दर्बारमें बे इख्तियार यह निकलगया कि अज़शुमाहेच नमेआयद यानी तुमलोगों से कुछ भी नहीं बन पड़ता है बस इतना कहना गोया अफ़ग़ाना के बिगड़े हुए दिलों को भरी हुई तोप पर रंजक में फैलता पहुंचनाथा सबेरे ही दूसरी नबम्बर को काबुलवालों ने बलबा किया। दूकानें सब बंद हो गयौं दो तीन सौ बदमाशों ने बनिस साहिब की कोठी में जाकर उन्हें और तमाम साहिब लोग मेम लड़के और हिन्दुस्तानी नोकरों को जो वहां उस वक्त मौजूद थे मार डाला और तमाम माल असबाब लूटकर मकानों को फूंक दिया। बनिस साहिब शहर में रहतेथे जब उनके मारे जाने की खबर छावनी में पहुंची इस बातके बदल कि तुर्त सब जवान कमर कसकर शहर में चले लाते और बलवाइयों को जैसा उन्हों ने किया था उसका मज़ा चखाते। उनके अफ़सा नाहक सिपाहियों को इधर उधर भेजने बुलाने


  • मिसर का बादशाह था मूसा के ज़माने में खुदाई का

दावा किया था आखिर दयी में डुबाया गया।

†यह शिकायत शायद किसी लौंडीके निकाल लेजाने के आजमें थी।