शुड़ग का राजा[१]अपने ज़ुल्म के बाइग दखनसे बनारस क़ैद हो आया। और उस का इलाका श्रम का रअय्यत की ख़ाहिश मुताबिक़ सर्कारी अ़मल्दारों में शामिल हो गया।
लार्ड बेंटिंक ने सारी खर्च की बहुततखफीफ़ की। और हिन्दुस्तानियों को सर्कारी बड़े उहदोंके मिलनेकीनीवडाली।
सन् १८३३ में कम्पनी को २० बरसकेलियेफिर सनदमिली। १८३३ ई० हिन्दुस्तान की तिजारत तो पहलेही इस के हाथसे निकल गयी थी अब इस सनद को रूसी चीन की भी बाक़ी न रही।
लार्ड अकलैंड
अगस्त सन् १८३५ में लार्ड बॅटिंकने कामछोड़ा। मार्चसन १८३५ ई० १८३६ तक यानी लार्ड अकलैंड के पहुंचने तक सर चार्लस- मेटाकाफ ने गवर्नर जेनरल का काम किया।
लखमऊकाबादशाह नसीरुद्दीनहैर[२]गया। पहलेतो १८३० ई० इस ने दो लड़कों को अपना माना था लेकिन फिर इन्कार किया इसी संबब कर्नल लो रज़ीडंटने उसके मरने पर उसके चचा नसीरुद्दौलाको जो सआदत लीख़ां का तीसरा बेटा था और मुसलमानांको शरा मुताबिक वारिसहो सकताथा मस्नद पर बिठाना चाहा। बिल्कुल तयारी होचुकीथी। सिर्फ मस्- नद पर बेठने की देरथी। कि यकायक बादशाहबेगम यानी गाज़ियुद्दौनहेदर की वेगम ने कुछ सिपाही महले में घुसाकर नसीरुद्दीला और रज़ीडंट दोनोंको घेर लिया। औरआप आकर उन दोनों लड़कों में से एक को जिस का नाममुनाजान था मस्त्रद पर बिठा दिया रज़ीडंटने बेगमकी बहुतेरासमझाया कि यह क्या पागलपना है लेकिन जब देखा कि उसकोअक्ल बिलकुल जाती रही है किसी ढब महल से बाहर निकल पाया। और कुछ सारी फ़ोज लेजाकरबेगम और उसके पोते
की तो पकड़कर केद रहने को चनार के किले में भेजदिया