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इतिहास तिमिरनाशक

गवर्नर जेनरल मुक़र्रर होकर पहली अगस्त की कलकत्ते में दाख़िल हुआ।


लार्ड एम्हर्स्ट

नयपालियों की तरह बर्मावालों का भी सिर खुज लाया। मुल्क बढ़ाने का शोक़ पैदा हुआ। अराकान मनीपुर और आसाम फ़तह करके कचार पर चढ़ाई की। कचार के राजा ने सर्कार की पनाह ली सकार ने उसकी मदद को फ़ौज भेजी। लेकिन बहीवालों का तो सिर आसमान पर चढ़ा हुआ थो गवर्नर जेनरल से कहला भेजा कि चटगांव ढाका और मुर्शिदाबाद भी किसी ज़माने में हमारे मूलक हिस्सा था भला चाहते हो तो अब भी छोड़दो गवर्नरजेनरल तो हंसकर सुन रहे लेकिन इन पागलों ने सारी इलाकों को अपनी नानी जी को मीरास समझकर चटगांव के कनारे पर जो शाहपुरिया के टापू में सर्कारी चौकी के तेरहं जवान थे तीन, उन में से काट डाले। बाकी बचारे जान लेकर भागे। १८२४ ई०.निदान पांचवीं मार्च सन् १८२४ को सर्कार ने लड़ाईका इशितहार दिया। कुछ थोड़ी सी फ़ौज ने तो ब्रह्मपुत्र के किनारे किनारे जाकर बिल्कुल आसाम में दखल किया। और दूसरी ने अराकान जा लिया। और बाकी ११००० फ़ौज ने जहाज़ों में सवार होकर रंगून पर निशान चढ़ाया। जब सर्कारी फ़ौज बम्ही की राजधानी आवा लेने के इरादे वहां से भागेबढ़ी। हर लड़ाई में बम्हावालों पर फतह बाती गयी। लेकिन पाबहवा की खराबी ओर बेगाना मुन्क होने के सबब आदमी और रुपया दोनों का बड़ा नुकसान हुआ। बड़ें बड़े बिकट जंगल और दलदलों में लड़ना पड़ा। अंधे के हाथ से बटेर लगे मैंगोमहाबंदूला के आदमियों ने कहीं चटगांव के जिले में रामके दर्मियान ३५० सकारो सिपाही काट डाले थे रावाने इसे सरारुस्तुमसमझा। सेनापति मुक़र्रर


इन में डायना नाम पहला हो धुएं का जहाज़ या को लड़ाई के लिये भेजा गया।