ने मुक़ाबले पर कमर बांधी। विम्बक ठाणा के क़िले से भाग
आया था। विशवा सर्कार के दिखलाने को तो उसके गिरफ्तारी
की कोशिश करताथा और छुपछुप कर उसे हर तरह कीमदद
पहुंचाता था। जब नयी सियाह भरती करने लगा औरसकारी
सिपाह को इधर से फोड़कर अपनी तरफ मिलाने की उसकी
पैरवी ज़ाहिर हो गयी रज़ीडंट एलफिंस्टन साहिब ने अपनी
फ़ौज को पूना के पूरब की छावनी छोड़कर उत्तर किरकी में
रनीडंटी के पास अनाने का हुक्म दिया। पेशवा को यह
बुरा लगा रज़ीडंट से कहला भेना कि आप इसहर्कतमे बाज़
रहिये रजीडंट ने साफ़ जवाब दिया और जब देखा कि पेशवा
के सिपाही रज़ीडंटी और छावनी के बीच में जमा होने लगे
रजीडंटी छोड़कर किरकी की छावनी में चला आया। पेंशवां
के सिपाहियों ने रज़ीडंटी लूटकर जला दी। पेंशया की फौज
में तख़मीनन दस हज़ार सवार और दस ही हज़ार पेदल
होंगे और सारी सिर्फ पैदल सिपाही सो भी तीन हज़ार से
कम लेकिन सकारी सिपाहियों ने हमला किया और पेशवा
को सारी फौज को भगा दिया पेशवा मे पुरंदर की राह ली।
वहां भी पर न जमे सितारे गया। जब वहां भी न ठहर
सका सेवाजी के जानशीन यानी सितारे के राजा को उसके
कुनबे समेत साथ लेकर बहले दखन की तरफ बढ़ा। फिर
मालवे को फिरा। फिर पना की जानिब मुड आया। निदान
आगे आगे तो येशवा * अपने नाम के अर्थ बजिबभागा
चला जाता था और पीछे पीछे सर्कारी फ़ोज उसके रगेदने की
परछाई की तरह पीछा किये हुए थी। पूना के पास भीमा
किनारे कोरा गांव में एक छोटी सी लड़ाई भी हो गयी खेत
सकारी फौजके हाथ रहा सितारे के किले पर सर्कार ने राजाका
निशान चढ़ा दिया। और पेशवा की माजली का उसकेउहवे
से इश्तिहार जारी किया! अष्टी की लड़ाई में पेशवा का
फ़ारसी में पेश आगे को कहते हैं पेशवा का अर्थ को मागेरहे इस का नाम बाजीराव था।