ही कुछ सिपाही कट जानेके सबब जेनरल माला ऐसाबेदिल
हो गया। कि सर्हद्द की हिफाजत के लिये कुछथोड़ीसी फौज
छोड़कर बेतिया हट आया। और जब इतनी मदद पहुंची
कि १६००० आदमी इसके तहत में हो गये तब भी क्या
जाने इसके मनमें क्या समाई बे कहे सुने अचानक एक दिन
सूरज निकलने से पहले फ़ोज से निकाल कर किसी तरफ़ को
चल दिया। इस अर्से में कर्नज गार्डनर मे रुहेलखण्ड से कमाऊ
में घुस कर अलमारेका किला नयपाजियोंसेखालीकरवालिया।
लेकिन कप्तान हिक्सी जो उस से शामिल होने को जाता
था। शिकस्त खाकर नयपालियों की कैद में पड़गया निदान
यहती जिलस्पी और माली सखों को उतावली ओर बेदिली
थी। अब जेनरल अक्टरलोनी को बहादुरीसुनों इसनेछहज़ार
आदमी लेकर हंड्ररकी राजधानी नालागढ़क्षनयपालियोंसे खाली
कराली। नयपालियों का राज इस वक्त कोटकांगडे तक पहुंच
गया था बिलकुल पहाड़ी राजाओं को उनके राज से बेदखल
कर दिया था। या उन से भारी कर यानी ख़राज ठहराकर
उन्हें अपनाज़ेलदार नालियाथा। बहुतेरे राजा इन नयपा-
लियों के निकाले सर्कारी फौजकेसाथ खिदमत के लिये हाज़िर
थे हमने इस लड़ाई काहालखुद राजारामसिंहनालागढ़वालेको
जुबान सुना है वहउस वक्त जेनर न अकृरलोनी के साथथा
नालागढ़ से सारी फ़ौज रामगढ़के तरफगयी नयपालियों का
नामी जेनरल अमरसिंह थापा तीन हजार सिपाहीलेकरउसके
बचाने को आया। जेनरल अकृरलौनी ने भी अपनी मदद के
लिये कुछ ओर सर्कारी फौज के आ जानेका इन्तिज़ार करमा
मुनासिब जाना। और फिर बड़ी अलमन्दी के साथमलोनके
मज़बूत किले की तरफ कूच किया जब नयपाली रामगढ़ से
१८१५ ई० मलोन के बचाने को चले रामगढ़ सहज़ में सर्कारके कब्जे में आगया। निदान सारी फौज तो उस पहाड़केनीचे जिसपर
मलोन का किलाहै एक नदी के कनारपड़ीथी और नयपालियों
शिमला कोश्रजंटी के ताबे है।