हमला किया लेकिन इस अ़र्से में क़िलेवालों ने बुर्ज और
दीवार की मरम्मत कर ली थी। राह न मिली। हज़ारसे ऊपर
आदमी, मारे गये। निदान इन चार हमलों में तीन हज़ार से
ऊपर सर्कारी फ़ौज का नुकसान हुआ लोग थके मांदे और बे
दिल होगये। गोला बारूद भी बाकी न रहा। रसदका सामान
खर्चमें आ गया। नाचार लेक की फ़ौज हटानी पड़ी। यह
एक ही क़िला है कि जिस के साम्हने से किसी
सबब से भी कभी सारी फ़ौज हटी। हमने भरतपुरवालों
की जुबानी सुनाहै कि लड़ाई के वक्त यह राजा रंजीतसिंह
दोहर ओढ़े ओर हाथमें लट्ठ लिये क़िले की दीवारोंपर घूमता
था और गोलंदाज़ और सिपाहियों से यही कहता रहता कि
भाई “किल्ला तिहारो ही है और जब वे कहते कि आपयहाँ
से हटजायें गोले ओले की तरह बरस रहे हैं तो जवाबदेता
कि "भय्या जाके नामकी चीठी भगवान के घर से वामें बंधी;
आवतु है वाही को गोता लगतु हे" और जब सुना कि लेक
ने फ़ौज हटाली। बड़ी दूरंदेशी की अपने सब सर्दारों को
जमा करके कहा कि भाइयो यह हम सब को ताकत न थी
कि अंगरेज़ों को हटा सके यह निरी ईश्वर की कृपा है कि
मेरी बात रह गयो। पर अब मुनासिब यह है कि हुल्फर
से कह दो किसी तरफ़ को राह ले मेरा बता नहीं कि अंग-
रेजों के दुश्मन को पनाह दूं और अपने लड़के कुंवर रणधी-
रसिंह को किले की कुञ्जी देकर लेक के पास भेज दिया लेक
भरतपुर वालों की बड़ी ख़ातिदारी को राजाने बीस लाख
रुपया लड़ाई का खर्च अदा करने का वादा किया। लेक ने
सुलहमामे पर दस्तख़त कर दिया।
लार्ड विलिज़्ली के इस भारी मंसूबे की क़दर कि हिंदु-
स्तानी फ़सादी रईसों को ज़ेर करके यकबारगी झगड़े फ़साद
को जड़ मिटादे। और सारे मुल्क में अमन चैन जमा दे
इंगलिस्तान में न हुई कम्पनी के शरीक आख़िर सोदागर थे।
लड़ाई के ख़र्च से घबरा गये। इस बड़े नामी गवर्नरजेनरला