तो ऐसी भारी शिकस्त दी। कि सात हज़ार मार गये और
दो हजार कैद में आये गोया सैंधिमा की कमर तोड़ डाली।
उधर दखन में सार्कारी फ़ौज ने अहमदनगर लेने के बाद
असौई की लड़ाई में मरहठों को बड़ी भारी शिकस्त देकर
बुर्हानपुर और असीरगढ़ का मशहूर क़िला ले लिया। और
फिर अरगांव की लड़ाई जीतकर और माविलगढ़ का मज़बूत
किला काबले में लाकर नागपुर के राजा को बाई को पचा
दिया। निदान नागपुर के राजा ने कटक का इलाका दे कर
सर्कार से सुलह कर ली और साथ ही सेंधिया ने भी अहमद-
नगर और भड़ोंचसे वस्त्रबर्दरहोकर अ़हदनामा लिखदिया कि
फिर कभी किसीफ़रासीसीको नौकर न रक्खे। पेशवाकोबुंदेलखंड
पर दावा था इस लिये सर्कार ने वह इलाके जो दखन ओर
गुजरात में उस से पाये थे बुंदेलखंड के बदलउसे लौटादिये।
अब ख़ाली एक जसवंत व हुल्कर इंदौर का राजाबाकी १८०४ ई० रह गया। कि जिस ने सर्कार के साम्हने सिर नहीं वह अक्सर सारी इ़लाकों को लूटा किया। और कोईवकील भी अपनी तरफ से नहीं भेजा। इस लिये उसपर चढ़ाई हुई पहले कुछ थोड़े से सिपाही कर्नल मानसन साहिब के तहतक्षमें उस के मुकाबले को गये और टोंक का क़िला दार्वाज़ा उड़ा कर फतह कर लिया लेकिन मुकंदरे के घाटे में यह सारी फ़ौज का टुकड़ा धोखे में आ कर बेतरह हुलकर को फ़ौजसे घिर गया। और बड़ी बड़ी मुश्किलोंसे वहांसे निकलकरलड़ता भिड़ता गर्मी और बरसात के सबब सैकड़ों तकलीफें उठाता और नुकसान सहता तीनतेरह हो कर आगरेपहुंचा। हुलकर कूब फूला। अब उसको शेखी का क्या ठिकाना था। समझा कि जो हूं। में ही हूं। बोस हज़ार सिपाह और एकसोतीस तोपों से दिल्ली का शहर जा घेरा वहां सर्कारी फ़ौज कुलपाठ थी और तोप ग्यारह पर दिल्ली के रज़ीडंट अफरलोनी ने इसी मुट्ठी भर फोज से खूब मरहठों के दांत खट्टे किये। नौ दिन सिर पटक कर आखिर चल दिये।