लाख रुपया नकद देना कबूल कर के अंग्रेज़ों को उनपरचढ़ा ले गया। बेचारे रुहेले शिकस्तखाकर तीन तेरह होगये सिर्फ फैजुल्लाहख़ां उनके सर्दारों में से बच रहा। शुजाउद्दौला ने उसे भी तंग किया और निचोड़ा लेकिन फिर रुहेलखंड में इसे
पंदरह लाख का इलाका। रामपुर) जागीर के तोरपर देदिया।
सन् १७७५ के शुरूमें शुजाउद्दौलादूसरी दुनिया केसिधारम और उस को मस्नद पर उस का बेटा आसिफुद्दौला बैठा। कौंसल वालों की यह राय ठहरी कि शुजाउद्दौलासेजोशहद पैमान थे वह उसी की ज़िंदगी भर के लिये थे। आसि- फुद्दौला के साथ तब बहाल रहेंगे जब वह बनारसकाइलाका कम्पनी को नज़र करें और अंगरेज़ी फ़ौज का ख़र्च बढ़ा कर दो लाख साठ हज़ार रुपया महीना कर दे। मसल मशहूर है ज़बर्दस्त का ठेंगा सिरपर आसिफुद्दौला को नाचाहते हुए बना- रस का इलाका भी देना पड़ा। और फ़ौज का ख़र्च भी बढ़ाना पड़ा।
सन् १७६१ में बालाजीराव पेशवा के मरने पर और फिर
सन् १७६२ में उस के बड़े लड़ने माधवराव पेशवा के मरने
पर उस का भाई रघुनाथराव जिसे राघोबा भी कहते हैं उस
से छोटे लड़के नारायणराव पेशवा को मार कर आप पेशवा
बन बैठाथा। पर जब सुना कि नारायणराव की रानी के
लड़का हुआ और सेंधिया और हुलकर उस की पच्छ पर हैं
डर कर गुजरात की तरफ भाग गया। और बम्बई में अंग-
रेज़ों से मदद चाही। बम्बई वालों ने सालसिट का टापूऔर
उस के पास बस्सीन का बंदर जो उस वक्त मरहठों के क-
बजे़ में था कम्पनी के नाम लिखवा कर कुछ़ फ़ौज दे दी।
पर कलकत्ते को कौंसल वालों ने यह बात मंजू़र न की। और
१७७६ ई० अपना अजंट पूना भेज कर पुरंदर के दर्मियान सन् १७७६ई मैं नारायणराव के लड़के से जो रघुनाथराव के भागने पर
पेशवा हो गया था ख़ाली सालसिट का टापू लेकर ओर बस्सीन
का दावा छोड़ कर सुलह कर ली।